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उत्तराखंड के तीन युवा ले रहे हैं अंतरिक्ष शिक्षा में नई पहल, ‘एस्ट्रोवर्स’ बना शिक्षा और रोजगार का नया केंद्र

Three youths from Uttarakhand are taking a new initiative in space education, 'Astroverse' has become a new centre for education and employment

देहरादून: उत्तराखंड के तीन दोस्तों ने मिलकर विज्ञान शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में एक अनोखी पहल की है। उनका स्टार्टअप ‘एस्ट्रोवर्स’ न केवल अंतरिक्ष विज्ञान को बच्चों तक पहुँचाने का काम कर रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार देने और क्षेत्रीय विकास में भी योगदान दे रहा है।

तीनों दोस्तों का साझा सपना
अजय रावत, शुभम कुमार और राहुल पांथरी ने अपने बचपन के अनुभवों को साथ मिलाकर ‘एस्ट्रोवर्स’ की स्थापना की। अजय ने रेलवे की नौकरी छोड़ कर तकनीकी नेतृत्व संभाला और टेलीस्कोप जैसे उपकरण विकसित किए। शुभम ने अंतरिक्ष विज्ञान को सरल तरीके से बच्चों तक पहुँचाने के लिए ‘एस्ट्रो पाठशाला’ शुरू की, जबकि राहुल ने एस्ट्रो टूरिज्म की शुरुआत कर पहाड़ों में एस्ट्रोनॉमी आधारित पर्यटन को बढ़ावा दिया।

एस्ट्रो पाठशाला से बच्चों को मिल रहा वैज्ञानिक ज्ञान
‘एस्ट्रो पाठशाला’ के माध्यम से बच्चों को हाइड्रो रॉकेट बनाना, कॉमेट निर्माण और टेलीस्कोप निर्माण जैसे विज्ञान के व्यावहारिक प्रोजेक्ट्स से जोड़ा जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इस टीम ने 10 से ज्यादा शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है, जो विभिन्न स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।

स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर
राहुल पांथरी के नेतृत्व में एस्ट्रो टूरिज्म ने स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए रास्ते दिखाए हैं। पहाड़ों में आयोजित किए गए एस्ट्रोनॉमी कार्यक्रमों और इवेंट्स के जरिए अब तक 35 से अधिक युवाओं को स्थायी रोजगार मिला है।

वैज्ञानिक शिक्षा में प्रमाणित पाठ्यक्रम
एस्ट्रोवर्स ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा प्रमाणित स्पेस एजुकेशन पाठ्यक्रम भी तैयार किए हैं। ये पाठ्यक्रम स्कूलों में विज्ञान लैब स्थापित करने और बच्चों को रॉकेट डिजाइनिंग जैसे आधुनिक विषयों से परिचित कराने में सहायक साबित हो रहे हैं।

भविष्य की योजनाएं
एस्ट्रोवर्स का लक्ष्य है देशभर में विज्ञान शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाना। वे नए एस्ट्रोस्टॉप्स खोलने और स्कूल प्रोग्राम्स को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं, ताकि बच्चे आकाश को न सिर्फ देखें, बल्कि समझें और उससे जुड़ी नई खोजों में भागीदार बनें।

उत्तराखंड से शुरू हुई यह पहल अब पूरे भारत में विज्ञान, शिक्षा और रोजगार का नया युग स्थापित करने को तैयार है।

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