देहरादून: देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी पर अब जिला प्रशासन सख्त रवैया अपनाता नजर आ रहा है। किताबें, यूनिफॉर्म और फीस को लेकर हो रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने दो निजी स्कूलों को नोटिस जारी किया है, जबकि एक स्कूल के प्रिंसिपल को 15 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से तलब किया गया है। साथ ही, निजी स्कूलों को स्पष्ट दिशा-निर्देश देते हुए एडवाइजरी जारी करने के आदेश दिए गए हैं कि अभिभावकों को किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए किसी एक दुकान पर बाध्य न किया जाए।
फीस, किताबें और ड्रेस को लेकर मिल रहीं थीं लगातार शिकायतें
शहर में लगातार ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि कई निजी स्कूल न सिर्फ मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं, बल्कि बच्चों की किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए अभिभावकों पर एक विशेष दुकान से खरीदारी का दबाव डाल रहे हैं। इन मामलों की जांच के लिए जिलाधिकारी की ओर से एक कोर टीम गठित की गई है जो स्कूलों में नियमों के पालन की निगरानी कर रही है।
आरटीई एक्ट का पालन अनिवार्य, तीन साल में अधिकतम 10% फीस वृद्धि
मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने स्कूल संचालकों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि आरटीई एक्ट के तहत तीन वर्षों में अधिकतम 10 प्रतिशत तक ही फीस वृद्धि की जा सकती है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि स्कूलों द्वारा किताबें या ड्रेस किसी विशेष दुकान से खरीदने का दबाव डालना पूरी तरह गलत और गैरकानूनी है।
समीक्षा बैठक में अनुपस्थित स्कूलों पर कार्रवाई
शहर के चार प्रमुख स्कूलों को समीक्षा बैठक में बुलाया गया था। इनमें से दो स्कूलों ने बैठक में भाग नहीं लिया, जिसके चलते उन्हें नोटिस जारी किया गया है। वहीं, एक स्कूल की ओर से सक्षम अधिकारी की अनुपस्थिति पर प्रिंसिपल को व्यक्तिगत रूप से तलब किया गया है।
प्रधानाचार्य पर भी गिरी गाज
एक निजी स्कूल की प्रधानाचार्य के खिलाफ गंभीर शिकायत मिलने के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय प्रबंधन समिति को निर्देशित किया कि वे प्रधानाचार्य के स्थान पर किसी अन्य उपयुक्त व्यक्ति की नियुक्ति करें।
शिक्षा मानकों की गहन जांच और समाधान पर जोर
प्रशासन ने सभी संबंधित स्कूलों में शिक्षण मानकों की जांच, अभिभावकों से संवाद और समस्याओं के समाधान की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले भी जिला प्रशासन को कई स्कूलों के खिलाफ शिकायतें मिली थीं, जिनका निस्तारण किया गया है।
यह सख्ती प्रशासन की ओर से एक स्पष्ट संदेश है कि अब शिक्षा के नाम पर व्यवसाय और शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।