चमोली (उत्तराखंड): देवभूमि उत्तराखंड के पंच केदारों में से एक, कल्पेश्वर महादेव धाम में इन दिनों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित इस पावन धाम में भगवान शिव के जटाओं के स्वरूप की पूजा होती है। चारधाम यात्रा के साथ-साथ अब पंच केदार यात्रा भी गति पकड़ चुकी है, और इसी क्रम में कल्पेश्वर महादेव के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
कल्पेश्वर महादेव, पंच केदारों में से पांचवां केदार है, जो चमोली जिले की कल्प घाटी के उरगम गांव में स्थित है। यह एकमात्र केदार मंदिर है, जो सालभर खुला रहता है और कभी बंद नहीं होता। जबकि अन्य चार केदार—केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ और रुद्रनाथ—के कपाट शीतकाल में बंद हो जाते हैं। लेकिन कल्पेश्वर महादेव धाम हर मौसम में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ सुलभ रहता है।
चारधाम यात्रा के साथ बढ़ी कल्पेश्वर की लोकप्रियता
चारधाम यात्रा की तीव्रता के चलते बड़ी संख्या में तीर्थयात्री बदरीनाथ हाईवे होते हुए हेलंग-उरगम लिंक रोड के माध्यम से कल्प घाटी पहुंच रहे हैं। मंदिर पदाधिकारी रघुवीर सिंह नेगी के अनुसार, इन दिनों कल्पेश्वर में रोजाना सैकड़ों की संख्या में भक्त भगवान शिव के दर्शन और पूजा के लिए पहुंच रहे हैं। विशेष रूप से रुद्राभिषेक पूजा और सायंकालीन आरती के दौरान मंदिर प्रांगण भक्तिमय माहौल से सराबोर हो जाता है।
धार्मिक महत्व और अद्वितीयता
पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन देते समय अपने शरीर के विभिन्न अंगों को विभिन्न स्थानों पर प्रकट किया था। उन्हीं में से जटाएं कल्पेश्वर में प्रकट हुई थीं। इसीलिए इस मंदिर को “कल्प” रूप में भगवान शिव का धाम माना जाता है। यहां दर्शन मात्र से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
वर्षभर तीर्थाटन की सुविधा
जहां शेष केदार धाम शीतकाल में बर्फबारी के कारण बंद हो जाते हैं, वहीं कल्पेश्वर महादेव धाम की स्थिति अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर होने के कारण यहां वर्षभर तीर्थाटन संभव है। यही कारण है कि यह धाम बारहों महीने भक्तों की आस्था का केंद्र बना रहता है।
कल्पेश्वर महादेव धाम न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को भी सशक्त बनाता है।