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हिमालय कल्चरल सेंटर की हालत बदतर, रखरखाव पर खर्च के बावजूद अव्यवस्थाएं हावी

The condition of Himalaya Cultural Center is worse, despite spending on maintenance, chaos prevails

देहरादून, 19 जून 2025: उत्तराखंड सरकार द्वारा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से देहरादून के नींबूवाला क्षेत्र में वर्ष 2021 में स्थापित हिमालय कल्चरल सेंटर इन दिनों खुद देखरेख की कमी और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार होता दिखाई दे रहा है। करीब 6.7 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए इस सेंटर की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, जबकि हर वर्ष इसके रखरखाव पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

इस केंद्र की स्थापना उत्तराखंड की पारंपरिक कला, संस्कृति और इतिहास को जनसामान्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई थी। आरंभ में यहां हिमालय क्षेत्र की 121 से अधिक कलाकृतियां और मूर्तियां प्रदर्शित की गई थीं, जो आज धूल और जर्जरता की स्थिति में हैं। कई मूर्तियां खुले आसमान और बारिश की मार झेल रही हैं, जिससे उनके संरक्षण पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

2.5 करोड़ सालाना मेंटेनेंस, फिर भी खराब हालत
आरटीआई एक्टिविस्ट अमर धुंता द्वारा मांगी गई जानकारी से यह सामने आया है कि इस सेंटर का निर्माण कार्य सरकारी एजेंसी एनबीसीसी ने किया था और उसे ही मेंटेनेंस की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आश्चर्यजनक रूप से, हर वर्ष लगभग 2.5 करोड़ रुपये देखरेख पर खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन केंद्र की वर्तमान स्थिति इस खर्च की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर रही है।

राजस्व कम, खर्च ज्यादा
आरटीआई से यह भी पता चला है कि निर्माण लागत में केंद्र सरकार ने 4.5 करोड़ रुपये और राज्य सरकार ने 2.2 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। हालांकि, 2021 से लेकर अब तक महज 97 सांस्कृतिक कार्यक्रम ही आयोजित किए गए, जिससे कुल 97 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसके मुकाबले, पिछले चार वर्षों में लगभग 10 करोड़ रुपये सिर्फ देखभाल पर खर्च हो चुके हैं।

बदल गया मूल उद्देश्य
संस्कृति क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि यह परिसर अब सांस्कृतिक आयोजनों की बजाय विभागीय बैठकों और कर्मचारियों के आंतरिक उपयोग में अधिक आ रहा है। इस पर चिंता जताते हुए लोकगायिका और पद्मश्री सम्मानित बसंती बिष्ट ने कहा कि यदि संस्थान सांस्कृतिक संवर्धन के लिए बने हैं तो वहां नियमित कार्यक्रम, प्रदर्शनी और देखरेख अत्यंत आवश्यक है।

विभाग की प्रतिक्रिया
संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने सफाई देते हुए कहा कि एनबीसीसी ही परिसर और कलाकृतियों की देखभाल कर रहा है। उन्होंने हाल ही में आयोजित कुछ कार्यक्रमों का उदाहरण देते हुए कहा कि लोगों की सांस्कृतिक रुचि को देखते हुए आयोजन आगे भी जारी रहेंगे।

हिमालय कल्चरल सेंटर की वर्तमान स्थिति यह स्पष्ट करती है कि केवल भवन बनाना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि नियमित देखरेख और उद्देश्यपूर्ण उपयोग भी उतना ही जरूरी है। यदि समय रहते सुधार नहीं हुए तो यह परियोजना अपनी उपयोगिता खो सकती है।

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