हल्द्वानी, 14 जून – उत्तराखंड सरकार इस वर्ष 21 जून को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर विशेष तैयारी कर रही है। इस बार योग दिवस का मुख्य आयोजन राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भव्य रूप से किया जाएगा। इस कार्यक्रम की तैयारियां शासन और आयुष विभाग स्तर पर तेज कर दी गई हैं। योग महोत्सव के लिए भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर को चुना गया है, जहां योगाभ्यास, ध्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
विदेशी मेहमानों को भेजा गया निमंत्रण
सरकार की योजना है कि इस योग महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले। इसके तहत 10 देशों के राजदूतों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि इन देशों के प्रतिनिधि गैरसैंण में योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जिससे उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर पेश किया जा सकेगा।
योग से जुड़ रहा है उत्तराखंड
उत्तराखंड पहले भी योग और अध्यात्म का केंद्र रहा है। हरिद्वार, ऋषिकेश और जागेश्वर जैसे क्षेत्रों में योग महोत्सव और ध्यान शिविर पहले भी आयोजित होते रहे हैं। अब गैरसैंण में आयोजन कर सरकार न केवल ग्रीष्मकालीन राजधानी को सक्रिय करना चाहती है, बल्कि योग के माध्यम से पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देना चाहती है।
कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
हालांकि, इस आयोजन को लेकर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण में योग दिवस आयोजन को केवल एक “औपचारिकता” करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल प्रतीकात्मक रूप से गैरसैंण को महत्व दे रही है, जबकि वहां विकास कार्यों का अभाव है। उन्होंने कहा कि पहले यह कार्यक्रम जागेश्वर में आयोजित होता था, जहां इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता थी। अब केवल स्थान बदलकर सरकार क्या हासिल करना चाहती है?
स्थायी राजधानी की मांग दोहराई
हरीश रावत ने यह भी दोहराया कि भाजपा सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित तो कर दिया है, लेकिन इसे स्थायी राजधानी बनाने के अपने वादे से पीछे हट गई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि स्थानीय लोग अब पूछ रहे हैं कि “ग्रीष्मकालीन राजधानी” आखिर कहां है? केवल घोषणा कर देने से राजधानी नहीं बनती, जब तक वहां स्थायी प्रशासनिक व्यवस्था न हो।
योग दिवस के जरिए गैरसैंण को नई पहचान देने की कोशिश सरकार की रणनीति का हिस्सा है, लेकिन इस आयोजन के पीछे की राजनीतिक मंशा और वास्तविक विकास की स्थिति को लेकर बहस तेज हो गई है। अब देखना यह होगा कि यह आयोजन सिर्फ उत्सव बनकर रह जाएगा या गैरसैंण के स्थायी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।