देहरादून – उत्तराखंड के हरिद्वार में सामने आए ज़मीन घोटाले ने राज्य की नौकरशाही में भूचाल ला दिया है। सरकार ने इस गंभीर मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए हरिद्वार के जिलाधिकारी कमेंद्र सिंह समेत 10 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही दो अन्य अधिकारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी गई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं, ताकि दोषियों की भूमिका की पूरी तह तक पड़ताल की जा सके।
2024 में खरीदी गई जमीन बना विवाद की जड़
यह घोटाला वर्ष 2024 में उस समय सामने आया जब हरिद्वार नगर निगम ने चुनाव आचार संहिता के दौरान 33 बीघा जमीन की खरीद की थी। जानकारी के अनुसार, यह जमीन उस क्षेत्र में स्थित है जहां कूड़ा डंप किया जाता रहा है, जिसके चलते इसकी कीमत बहुत कम थी। लेकिन अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर कृषि भूमि को व्यावसायिक श्रेणी में चढ़वाकर इसे 58 करोड़ रुपये में खरीद लिया।
नगर निगम के कार्यों का होगा विशेष ऑडिट
मुख्यमंत्री ने इस घोटाले को गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिए हैं कि हरिद्वार नगर निगम में तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल में किए गए सभी कार्यों की विशेष ऑडिट जांच कराई जाए। सरकार इस पूरे प्रकरण को पूरी पारदर्शिता के साथ सुलझाने के पक्ष में है, ताकि जनता का विश्वास कायम रह सके।
CISS पोर्टल पर दर्ज होंगे विवरण
इस घोटाले में शामिल अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए अब पूरी प्रक्रिया डिजिटल ट्रैकिंग के ज़रिए होगी। राज्य सरकार ने इस पूरे मामले को लेकर स्पष्ट किया है कि ज़मीन के विक्रेताओं को भुगतान की वसूली की जाएगी और विक्रय पत्रों को रद्द किया जाएगा।
राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज
बीजेपी की मेयर उम्मीदवार की जीत के बाद यह मामला अचानक सुर्खियों में आया। धीरे-धीरे यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया और मामला सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया। प्रारंभिक जांच सचिव रणवीर सिंह चौहान को सौंपी गई थी, जिनकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया।
इस कार्रवाई से स्पष्ट है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। यह संदेश है कि शासन अब ज़मीन घोटालों या वित्तीय अनियमितताओं पर पूरी तरह चौकस है।