उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में करीब 1200 ग्लेशियर झीलें हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ कभी-कभी खतरनाक भी साबित होती हैं। इन झीलों के टूटने से अचानक बाढ़ जैसी आपदाएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे आसपास के इलाकों में भारी नुकसान हो सकता है। इसे देखते हुए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट फोर्स (एनडीएमए) ने उत्तराखंड की पांच ग्लेशियर झीलों को अति संवेदनशील घोषित किया है और इन झीलों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं।
एनडीएमए की पहचान और उत्तराखंड आपदा विभाग की तैयारी
भारत सरकार की एनडीएमए ने पिछले साल हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशील ग्लेशियर झीलों की एक सूची जारी की थी, जिसमें उत्तराखंड की 13 झीलें शामिल थीं। इन्हें संवेदनशीलता के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया था, जिनमें से पांच झीलों को अति संवेदनशील माना गया। इनमें चार झीलें पिथौरागढ़ जिले की हैं और एक चमोली जिले की। एनडीएमए के निर्देशों के बाद उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने इन झीलों की निगरानी के लिए कार्य शुरू किया है।
वसुंधरा ग्लेशियर झील का निरीक्षण और भविष्य की योजना
चमोली जिले में स्थित वसुंधरा ग्लेशियर झील का विशेषज्ञों द्वारा हाल ही में निरीक्षण किया गया है। इस निरीक्षण के दौरान झील की भौगोलिक और जलवायु संबंधी जानकारी जुटाई गई। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि निरीक्षण के बाद झील की मैथमेट्री स्टडी की जाएगी, जिससे यह पता चलेगा कि झील टूटने की कितनी संभावना है और जल निकासी की दिशा क्या होगी। इसके बाद झील के आसपास सेंसर और कैमरे लगाए जाएंगे, जो किसी भी आकस्मिक बदलाव की जानकारी कंट्रोल रूम तक तुरंत पहुंचाएंगे। इसके साथ ही आबादी वाले क्षेत्रों में सायरन सिस्टम भी स्थापित किया जाएगा।
स्थानीय लोगों की सुरक्षा और जागरूकता
आपदा प्रबंधन विभाग ने इस योजना के तहत स्थानीय लोगों को जागरूक करने का भी संकल्प लिया है। सायरन बजने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए मार्गदर्शन और प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे केदारनाथ और रैणी आपदाओं जैसी दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। विभाग इस प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है ताकि भविष्य में किसी भी अप्रत्याशित आपदा को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।
अति संवेदनशील ग्लेशियर झीलों की सूची
- वसुंधरा ग्लेशियर झील (चमोली) – आकार 0.50 हेक्टेयर, ऊंचाई 4702 मीटर
- मबान झील (पिथौरागढ़) – आकार 0.11 हेक्टेयर, ऊंचाई 4351 मीटर
- प्युंगरू झील (पिथौरागढ़) – आकार 0.02 हेक्टेयर, ऊंचाई 4758 मीटर
- अनक्लासिफाइड ग्लेशियर झील (पिथौरागढ़, कुथी यांकटी घाटी) – आकार 0.04 हेक्टेयर, ऊंचाई 4868 मीटर
- अनक्लासिफाइड ग्लेशियर झील (पिथौरागढ़, दारमा यांकटी घाटी) – आकार 0.09 हेक्टेयर, ऊंचाई 4794 मीटर
उत्तराखंड में इन झीलों की निगरानी और सुरक्षा के उपायों से स्थानीय निवासियों को बड़े प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियां मिलकर इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही हैं।