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दौसा: सरकारी विद्यालय की अनोखी पहल, किचन गार्डन से बच्चों को मिल रहा पोषण और आत्मनिर्भरता की सीख

Dausa: Unique initiative of government school, children are getting nutrition and self-reliance from kitchen garden

दौसा, राजस्थान: शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उसमें जीवन कौशल और स्वस्थ आदतों का भी समावेश होना चाहिए। इसी सोच के साथ दौसा जिले के सिकराय उपखंड स्थित बाणे का बरखेड़ा गांव का एक सरकारी विद्यालय शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में मिसाल बन रहा है।

विद्यालय ने अपने परिसर में किचन गार्डन विकसित किया है, जहां जैविक तरीकों से सब्जियां उगाई जाती हैं। इन ताज़ी और पौष्टिक सब्जियों का उपयोग मिड-डे मील में किया जाता है, जिससे बच्चों को संतुलित और रसायन-मुक्त भोजन मिल रहा है।

विद्यालय का किचन गार्डन: पोषण और शिक्षा का संगम

विद्यालय के 2500 वर्गफीट में फैले किचन गार्डन में बिना किसी रासायनिक खाद के शुद्ध और ताज़ी सब्जियां उगाई जाती हैं। इस पहल से बच्चों को पौष्टिक आहार तो मिल ही रहा है, साथ ही वे जैविक खेती के गुर भी सीख रहे हैं

विद्यालय के उप प्राचार्य रामचरण शर्मा ने बताया कि शुरुआत में सिंचाई के लिए पानी की कमी एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से यह समस्या हल हो गई और अब टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है।

हफ्तेभर का पोषणयुक्त मेन्यू

विद्यालय की पोषाहार संचालिका आशा देवी के अनुसार, बच्चों को सप्ताह में छह दिन पोषणयुक्त भोजन दिया जाता है। इसमें दाल-पालक, आलू-पालक, गोभी-मटर, बैंगन, टमाटर, मूली, शलजम, लौकी और धनिया जैसी सब्जियां शामिल हैं।

ये सभी सब्जियां विद्यालय के किचन गार्डन में उगाई जाती हैं, जिससे बच्चों को रसायन-मुक्त और पोषणयुक्त आहार प्राप्त होता है। यह उनके मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक साबित हो रहा है।

छात्रों की भागीदारी और आत्मनिर्भरता की सीख

विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र लंच ब्रेक के दौरान किचन गार्डन की देखभाल भी करते हैं। वे जैविक खाद तैयार करने के साथ-साथ खेती के बुनियादी गुर सीखते हैं।

कई छात्रों के परिवार खेती से जुड़े हुए हैं, जिससे वे अपने घरों में भी इस ज्ञान का उपयोग कर रहे हैं। यह पहल प्रकृति के प्रति जागरूकता और आत्मनिर्भरता की भावना को विकसित कर रही है।

आर्थिक बचत और अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणा

विद्यालय के शिक्षक हेमराज मीना के अनुसार, पहले मिड-डे मील के लिए हर महीने करीब 2,000 रुपये की सब्जियां बाजार से खरीदी जाती थीं। लेकिन अब किचन गार्डन से ताज़ी सब्जियां मिलने से यह राशि बचाई जा रही है और इसे विद्यालय की अन्य आवश्यकताओं के लिए उपयोग किया जा रहा है।

बाणे का बरखेड़ा गांव का यह विद्यालय शिक्षा और स्वास्थ्य का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। यदि अन्य सरकारी विद्यालय भी इस मॉडल को अपनाते हैं, तो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ उत्तम स्वास्थ्य भी सुनिश्चित किया जा सकता है

निष्कर्ष

यह पहल देशभर के सरकारी विद्यालयों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकती है। इससे शिक्षा और पोषण के स्तर में सुधार लाया जा सकता है और बच्चों को स्वस्थ, आत्मनिर्भर और पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने की दिशा में प्रेरित किया जा सकता है।

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