सरकार कर रही है नए टैक्स नियम पर विचार
भारत सरकार एक ऐसे नए नियम पर विचार कर रही है, जिसके तहत ₹2,000 से अधिक की UPI पेमेंट पर 18% जीएसटी (GST) लगाया जा सकता है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे डिजिटल लेनदेन करने वाले लाखों यूजर्स को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। फिलहाल यह प्रस्ताव विचाराधीन है और अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा या लागू करने की तारीख तय नहीं की गई है।
पर्सनल और मर्चेंट दोनों ट्रांजैक्शन पर असर
इस प्रस्ताव के तहत न केवल व्यापारी को किए गए भुगतान, बल्कि पर्सनल ट्रांसफर—जैसे किसी मित्र या परिवार के सदस्य को भेजी गई राशि—भी टैक्स के दायरे में आ सकती है। वर्तमान में UPI ट्रांजैक्शन टैक्स-फ्री हैं, जिससे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला है। लेकिन नया नियम इस रफ्तार को धीमा कर सकता है।
सरकार का उद्देश्य टैक्स समानता
वित्त मंत्रालय, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और जीएसटी काउंसिल इस मसले पर विचार कर रहे हैं। सरकार का तर्क है कि पारंपरिक वित्तीय सेवाओं पर पहले से टैक्स लागू है, जबकि UPI ट्रांजैक्शन पर कोई टैक्स नहीं लगता। ऐसे में टैक्स प्रणाली में संतुलन लाने के लिए यह कदम जरूरी माना जा रहा है।
छोटे व्यापारियों और आम लोगों पर पड़ेगा असर
अगर यह नियम लागू होता है तो इसका सीधा असर छोटे दुकानदारों, सेल्फ-इंप्लॉयड प्रोफेशनल्स और गिग वर्कर्स पर पड़ेगा, जो रोज़ाना के लेनदेन के लिए UPI पर निर्भर हैं। उन्हें हर बड़ी पेमेंट पर अतिरिक्त 18% का टैक्स देना पड़ सकता है, जिससे उनकी आय पर असर पड़ेगा।
डिजिटल इंडिया के लक्ष्य पर सवाल
फिनटेक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का टैक्स सरकार के “डिजिटल इंडिया” और “कैशलेस इकोनॉमी” के उद्देश्यों को कमजोर कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे लोग दोबारा नकद लेनदेन की ओर लौट सकते हैं, जो डिजिटल समावेशन के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
कोई अंतिम फैसला नहीं, लेकिन बहस तेज
सरकार ने अभी तक इस प्रस्ताव को लागू करने की कोई समयसीमा घोषित नहीं की है। इंडस्ट्री और आम जनता की प्रतिक्रिया को देखते हुए सरकार इसमें कुछ बदलाव कर सकती है या इसे टाल भी सकती है। लेकिन इतना तय है कि यह प्रस्ताव आने वाले समय में बड़ा मुद्दा बन सकता है।