दिल्ली से रवाना होगा पहला जत्था, सीमित 250 श्रद्धालुओं को मिली अनुमति
करीब पांच साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू होने जा रही है। इस बार 30 जून 2025 से यात्रा का शुभारंभ होगा और पहले जत्थे में 50 यात्री दिल्ली से रवाना होंगे। कुल 250 यात्रियों को उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से यात्रा की अनुमति दी गई है। यात्रा का आयोजन केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है। कैलाश मानसरोवर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है।
कोरोना और भारत-चीन तनाव के चलते रुकी थी यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा अंतिम बार 2019 में हुई थी। इसके बाद 2020 में कोरोना महामारी और भारत-चीन के बीच गलवान विवाद के चलते यात्रा स्थगित कर दी गई थी। अब दोनों देशों के बीच बनी सहमति के बाद यात्रा को फिर से शुरू किया जा रहा है। यात्रियों को यात्रा के लिए वीजा अनिवार्य रूप से लेना होगा, क्योंकि कैलाश क्षेत्र चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में आता है।
दो मार्गों से होगी यात्रा, कुमाऊं मंडल विकास निगम करेगा संचालन
भारत से कैलाश मानसरोवर यात्रा दो मार्गों से संभव है—उत्तराखंड के लिपुलेख पास और सिक्किम के नाथुला पास से। उत्तराखंड मार्ग की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) के पास है, जो 1981 से यात्रा का सफल संचालन कर रहा है। वहीं, सिक्किम मार्ग से यात्रा सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) के सहयोग से करवाई जाती है।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। स्कंद पुराण, शिव पुराण और मत्स्य पुराण में इसकी महिमा का वर्णन मिलता है। कैलाश पर्वत को ब्रह्मांड का केंद्र और मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है। बौद्ध धर्म के अनुसार, गौतम बुद्ध ने भी यहां तपस्या की थी। जैन धर्म में इसे प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का निर्वाण स्थल माना जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और यात्रा का खर्च
वैज्ञानिकों के अनुसार, कैलाश क्षेत्र में अत्यधिक चुंबकीय ऊर्जा पाई जाती है, जिससे अलौकिक शक्तियों की अनुभूति होती है। कैलाश पर्वत के निर्माण को भूगर्भीय हलचलों का परिणाम बताया गया है, जो करीब 10 करोड़ साल पहले हुआ था। यात्रा का खर्च उत्तराखंड रूट से लगभग ₹1.70 लाख और सिक्किम रूट से ₹2.76 लाख तक आएगा। इसमें वीजा शुल्क, स्वास्थ्य परीक्षण, रुकने-खाने और चीन में आवागमन की लागत शामिल है।
22 दिन में होगी यात्रा पूरी
पहले जहां यात्रा 28 दिनों में पूरी होती थी, अब यह मात्र 22 दिनों में संपन्न हो सकेगी। यात्रा के दौरान यात्रियों को दिल्ली में मेडिकल टेस्ट से गुजरना होगा और फिर टनकपुर, धारचूला, गुंजी जैसे पड़ावों से होते हुए लिपुलेख पास के रास्ते तिब्बत में प्रवेश मिलेगा। वापस आते समय दल बूंदी, चौकोड़ी और अल्मोड़ा में विश्राम करेगा।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू
यात्रा के इच्छुक श्रद्धालु kmy.gov.in वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। पासपोर्ट, पैनकार्ड, फोटो और अन्य दस्तावेज अनिवार्य हैं। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही अंतिम चयन किया जाएगा।